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Suvichar - कमियाँ घातक नहीं

कमियाँ घातक नहीं; उनसे हार जाना हमारे लिए घातक होता है। डट कर मुकाबला कीजिये अपनी कमियों के साथ; सफलता जरूर आपके कदम चूमेंगी।। सुविचार - जैनिज़्म संसार #suvichar #jainismSansar #jain #jainism www.fb.com/jainismSansar

मणिभद्र वीर जी - इतिहास

उज्जैन शहर के भेरुगढ़ में श्री विक्रमादित्य कि 15वीं शताब्दी में वि.स. 1541 बसंत पंचमी के शुभ दिन श्रेष्ठीवर्य सुश्रावक धर्मप्रिय एवम सुश्राविका जिनप्रिया कि इसी जगह स्थित हवेली में एक पुत्र रत्न का जन्म हुआ जिसका नाम माणक चन्द्र रखा गया | इसी घर में पद्मावती माता का घर देरासर भी था | शेरावकाल पूर्ण करके जब योवन अवस्था में उन्होंने कदम रखा धारानगरी के भीमसेठ कि पुत्री आनंदरति के साथ उन्हें विवाह के बंधनो में बांध दिया एक बार उज्जैन में लोकशाह पंथ के साधुओं का आगमन हुआ माणकचंद्र उनके संपर्क में आकर मूर्ति पूजा से विमुख हो गया इस घटना से माँ को बहुत दुःख हुआ | जब उनकी माँ को ओलीजी का पारणा था तब माँ ने यह प्रतिज्ञा ली की जब तक माणक सन्मार्ग पार नहीं आयेगा तब तक घी का त्याग करा | इस प्रकार छ: माह व्यतित हुए | इधर उज्जैन नगरी के  बाहर बगीचे में आचार्य श्री आनंद विमलसुरिजी पधारे माता के आग्रह से माणक आचार्य श्री के पास गया और देखा कि आचार्य श्री कायोत्सर्ग ध्यान में लीन है उनकी परीक्षा हेतु माणक ने जलती हुई लकड़ी से उनकी दाड़ी जला दी फिर भी आचार्य श्री ने क्षमा करा | माणक को अपनी भुल का एह

Navkar Mantra Meaning

“ नमो अरिहंताणं ” हे अरिहंत परमात्मा ! आपने बाह्य शत्रुओं पार नहीं, आतंरिक शत्रुओं पार विजय प्राप्त की है में भी मेरे कषायो और अवगुणों पर विजय प्राप्त कर संकू, ऐसी मेरी साधना हो! “ नमो सिद्धाणं ” हे सिद्ध परमात्मा ! आपके जैसी पूर्ण निष्पापता कि अवस्था में मैं कब आ पाउँगा? पर आज आंशिक निष्पाप जीवन शैली जी संकू, ऐसी मेरी साधना हो! “ नमो आयरियाणं ” है आचार्य भगवंत ! आप ही तो हो मेरी आत्मा के अनुशासक ! आपके चरणों में रहकर आपके जैसा आचरण करू, ऐसी मेरी साधना हो! “ नमो उवझ्झाया उव्ज्झायाणं ” हे उपाध्याय भगवंत ! आपकी कृपा से मेरा अप्रकट ज्ञान प्रकट हो और मुक्ति मंजिल कि और मुझे सही दिशा व द्रष्टि मिले, ऐसी मेरी साधना हो! “ नमो लोए सव्वसाहूणं ” हे सर्व साधू भगवंतों ! आपने पंच महाव्रत स्वीकार कर छठवें गुणस्थानक में स्थान प्राप्त किया है | इस भाव में या भविष्य में मै भी मोक्ष लक्ष्य के साथ पंच महाव्रत स्वीकारू , ऐसी मेरी साधना हो!

mera ek sapna hai - मेरा एक सपना है

तर्ज - मेरा एक सपना है हो मेरा एक साथी है, बड़ा ही भोला भाला है मिले न उस जैसा वो जग से निराला है जब - जब दिल ये उदास होता है मेरा प्यारा दादा मेरे पास होता है-  2 हो मेरा एक साथी है _ _ _ _                          नई – नई पहचान बदल गई रिश्ते में- 2                          प्रभुजी मेरा सौदा पट गया सस्ते में - 2                          गिरा में जब - जब भी, उसी ने संभाला है- 2                                 मिले न उस जेसा, वो जग से निराला है जब तक रहा अकेला बड़ा दुःख पाया में, जब जब दुःख ने घेरा तो घबराया में कि सारी दुनिया में तेरा ही सहारा है मिले न उस जैसा, वो जग से निराला है _ _ _ _ _ 

Suvichar - Mahavir Sandesh

खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर हैं।। सुविचार - जैनिज़्म संसार #jainismSansar #jain #jainism #suvichar #mahavir

पिता | father | Poem

#fathersDay celebrated every third Sunday in the month of June To know more visit http://doUknowThe.blogspot.com/

Importance of Jai jinendra

जय जिनेन्द्र कहने के फायदे

Think yourself - स्वयं विचार कीजिये

इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ? स्वयं विचार कीजिये :- , 1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी... 👍 मौन होना सब से बेहतर है। 2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी... 👍 सफेद रंग सब से बेहतर है। 3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी... 👍 उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है। 4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी.. 👍 पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है। 5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी... 👍 बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है। 6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी... 👍 अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है। 7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी... 👍 सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है। इंसान के अंदर जो समा जायें वो              " स्वाभिमान "                     और जो इंसान के बाहर छलक जायें वो              " अभिमान "

Sui aur dhaga Suvichar - सुई और धागा सुविचार

सुई में वही धागा प्रवेश कर सकता है - जिसमे गांठ ना हो।।

Tirthankar Avantiparshavnath ji

प्रभु दर्शन सुख सम्पदा, प्रभु दर्शन नवनिध्। प्रभु दर्शन थी पमिये, सकल पदारथ सिद्ध।। Prabhu darshan sukh sampada, prabhu darshan nava nidh Prabhu darshan thi pamiea, sakal padhaaratha siddha नमो जिणाणम नमो जिणाणम नमो जिणाणम #jainismSansar #Jain #jainism #tirthankar

Suvichar | सुविचार

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Jal pooja - जल पूजा

Jal puja jugte karo, Mail anadi vinassh, Jal puja fal muje hojo, Mangu em prabhu pass. जल पूजा जुगते करो, मेल अनादि विनाश। जल पूजा फल मुझे होजो, मांगू एम् प्रभु पास।। http://jainismSansar.blogspot.com He devadi dev ! Aap to swayam nirmal he,malin to hamari atma he........ Aap ke ango par abhishek kar hum apni atama ko pavitar banana chahte he. He nath ! Dev devendaro ki bhanti kshirsagar,ganga nadi ka jal to nahi laskte,parantu sakati ke anusar jo ye dudh hum laye he,use aap ke ango par baha kar apni atama ki malinta dur karenge. He tribhuvan nath ! Dev devendar bhale hi aap ke janabhishek ka ayojan karte ho,parantu hum aap ke rajaybhishek ka ayojan kar rahe he,hum aaj aapko apne haruday ke rajshihashan ke raja ke roop mai udhagoshit kar rahe he. Ye abhishek us ki goshana he. hum anadi kal se apne haruday ke raja ke roop mai mohraja ko pujate aaye he,parantu he nath ! Is moh raja ne hume kafi taga he. thodasa xanik shukh dekar is raja ne hume puri tarah se lut liya he.aaj

आधा सच

आजकल वाट्स एप पर एक मेसेज बहुत चल रहा हैं कि एक बुज़ुर्ग मोबाइल वाले से कहता है कि मेरा फोन ख़राब है। दुकानदार बताता है कि आपका फोन ठीक है। बुज़ुर्ग आँखों में आंसू लिए कहता है कि फिर मेरे बच्चो के फोन क्यों नही आ रहे। इसके आगे का मेसेज पढ़िए फिर वो दुकानदार बैलेंस चेक करता है तो पाता है कि बुज़ुर्ग के फोन में 500 का बैलेंस है। दुकानदार बुज़ुर्ग के फोन से उनके बेटे/बेटी को फोन लगाता है और सारा घटनाक्रम सुनाता हैतब उस बुज़ुर्ग का बेटा/बेटी दुकानदार से उनसे बात कराने को कहता है और बुज़ुर्ग से कहता/कहती है कि पापा मैंने आपको फोन इसलिए दिया है ताकि आप जब चाहे जिस समय चाहे मुझे फोन कर सके। कोई तकलीफ हो तो बता सके। इसलिए नही कि आप मेरी मर्जी हो तभी मुझसे बात कर सके। अगर मुझे आपसे बात करने में परेशानी होती तो मै आपको फोन क्यों देता/देती। पापा आपके संस्कार हमारी रगों में है। हम किसी विदेशी सभ्यता या संस्कार वाले देश के बच्चे नही हैं। हम भारतीय हैं। हम अपने बुजुर्गो का सम्मान करना जानते हैं।मैं मानता/मानती हु कि काम क़ी व्यस्तता होने के कारन आपसे कभी कभी खुद बातचीत नही कर पाते। क्युक

स्वयं विचार कीजिये | Please consider themselves

स्वयं विचार कीजिये :- 1-इतना कुछ होते हुए भी शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी... 👍 मौन होना सब से बेहतर है।  2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी... 👍सफेद रंग सब से बेहतर है।  3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी... 👍उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।  4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी.. 👍पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है।  5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी... 👍बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।  6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी... 👍अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।  7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी... 👍सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतरहै। इंसान के अंदर जो समा जायें वो " स्वाभिमान " और जो इंसान के बहार छलक जायें वो " अभिमान " |

Reaction's Action | प्रतिक्रिया की क्रिया

एक प्यारे से couple को करीब 10 साल बाद एक बच्ची हुई, वो सभी आपस में खुश थे, एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. और बच्ची तो उनकी दुलारी थी. एक सुबह, जब बच्ची करीब कुछ दो सालो की थी, तो पति ने टेबल पर एक बोतल देखि जिसका ढ़क्कन खुला हुआ था. वो काम के लिए late हो रहा था. इसलिए उसने पत्नी को बोतल का ढ़क्कन लगाने और उसे अलमारी में रखने के लिए कह कर चला गया. पत्नी जो की kitchen में अपने काम में busy थी. वो भूल ही गयी. उसका ध्यान नहीं गया. छोटी लड़की ने उस बोतल को देखा और खेल खेल में उसके पास जाकर उसे उठा लिया. उसके रंगीन रंग को देख कर खुश होते हुए उससे खेलने लगी. और उसे पूरा पी गयी… वो बोतल एक दवा की थी, जो adults के लिए वो भी कम dosages के लिए थी. उस दवा से बच्ची की हालत बहुत ख़राब हो गयी. दवा जहर की तरह असर कर रही थी. क्योंकि उसका छोटा सा शरीर सह नहीं पा रहा था.. जब उसकी माँ ने यह देखा तो वो तुरंत उसे अस्पताल ले गयी, जहाँ उसकी मृत्यु हो गयी.. उसकी माँ बहुत ही डर गयी, और सदमे में आ गयी. वो अपने पति का सामना कैसे क